“लैंगिक संवेदनशीलता तथा कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाव” एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
फरीदाबाद,जनतंत्र टुडे
अग्रवाल महाविद्यालय बल्लभगढ़ में ‘आंतरिक शिकायत समिति तथा महिला प्रकोष्ठ‘ एवं अदिति महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) के संयुक्त तत्वावधान में शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर विभाग के लिए आभासीय एवं प्रत्यक्ष मिश्रित रूप से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य विषय था “लैंगिक संवेदनशीलता तथा कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाव“।
अग्रवाल महाविद्यालय प्राचार्य डॉ कृष्णकांत गुप्ता की सदप्रेरणा से महाविद्यालय में विद्यार्थियों एवं प्रवक्ताओं के लिए अनेकानेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य से पुरुष वर्ग के मध्य लैंगिक संवेदनशीलता के माध्यम से कार्यक्षेत्र पर यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता उत्पन्न कराना था। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ० ममता शर्मा (प्राचार्या अदिति महाविद्यालय नई दिल्ली) एवं बीज वक्ता के रूप में डॉ० नमिता राजपूत (श्री अरबिंदो महाविद्यालय नई दिल्ली, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय,पॉश प्रैक्टिशनर) उपस्थित रही। कार्यक्रम की शुरुआत में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ० कृष्णकांत गुप्ता ने मुख्य अतिथि का एवं सभी का अभिवादन करते हुए विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी एवं इस कार्यशाला के संदर्भ मे कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता एक गंभीर विषय है और कार्य स्थलों पर बढ़ते यौन उत्पीड़न के मामले दिनोंदिन जिस प्रकार बढ़ते जा रहे हैं इसके लिए आवश्यक है कि स्त्री अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहे।
पुरुष वर्ग के लिए इस विषय के प्रति संवेदनशील होना ज़्यादा ज़रूरी है। विचारों का सुंदर होना अतिआवश्यक है। आंतरिक शिकायत कमेटी एवं कार्यक्रम संयोजिका श्रीमती कमल टण्डन ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला एवं महाविद्यालय मे सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण पर ज़ोर देते हुए ऐसे जागरूकता कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि डॉ० ममता शर्मा ने कहा कि यौन उत्पीड़न एक ज्वलन्त विषय है। उच्च शिक्षण संस्थाओं में इसके लिए कार्यशालाओं का एवं संगोष्ठियों का आयोजन होना जरूरी है जिससे युवा वर्ग विशेष रूप से जागरूक रहे।
मुख्य वक्ता डॉ० नमिता राजपूत ने पीपीटी के माध्यम से लैंगिक असमानता की आकड़े पर प्रकाश डाला एवं बढ़ते यौन उत्पीड़न के मामलों में कानून किस प्रकार से मदद करता है इसके लिए उन्होंने विभिन्न अनुच्छेदों के प्रावधान के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि पुरुषों की कठोरता एवं स्त्री की कोमलता का उचित समन्वय होना चाहिए। उन्होंने अनेक उदाहरणों एवं वीडियो क्लिप द्वारा लैंगिक असमानता और संवेदनशीलता को भी बताया। मंच संचालन डॉ सुप्रिया ढांडा के द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में आभासी एवं प्रत्यक्ष रूप से सभी विभागों के लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया । इस अवसर पर आंतरिक शिकायत कमेटी की कानूनी सलाहकार एडवोकेट उमा चौहान भी उपस्थित रही। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डॉ नरेश कामरा द्वारा किया गया। आंतरिक शिकायत समिति के समन्वयक डॉ० नरेश कामरा, एवं डॉ गीता गुप्ता (संयोजिका, महिला प्रकोष्ठ) एवं अन्य सदस्य डॉ० रितु, डॉ० डिंपल, डॉ० मीनू अग्रवाल, डॉ० विनीत नागपाल एवं ललिता तथा महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका डॉ० रेखा सेन, एवं डॉ० रेनू माहेश्वरी के प्रयासों से यह कार्यक्रम सफल एवं सार्थक सिद्ध हुआ।