अग्रवाल महाविद्यालय बल्लबगढ़ में एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
फरीदाबाद,जनतंत्र टुडे
अग्रवाल महाविद्यालय बल्लबगढ़ में “लिंग अध्ययन: अतीत के मुद्दे और भविष्य की संभावनाएं” (Gender studies: Past issues and Future possibilities) विषय पर आभासीय एवं प्रत्यक्ष रूप से महानिदेशक उच्चतर शिक्षा हरियाणा के सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मुख्य संरक्षक एवं अग्रवाल महाविद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री देवेंद्र कुमार गुप्ता, कार्यक्रम संरक्षक एवं प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत गुप्ता के मार्गदर्शन में महाविद्यालय में समाज के ज्वलंत विषयों पर समय-समय पर सम्मेलन आयोजित किये जाते हैं। महिला प्रकोष्ठ एवं अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य युवाओं के मध्य लिंग अध्ययन द्वारा भविष्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। सम्मेलन का आरंभ दीपशिखा प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम संयोजिका श्रीमती कमल टंडन एवं आयोजन समिति के सदस्यों ने अतिथियों को पौधा भेंट कर उनका स्वागत किया। इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं बीज वक्ता के रूप में डॉ. मनवीन कौर (सलाहकार, सेंटर फॉर जेंडर एंड जूविनाइल्स, एच.आई.पी.ए गुरुग्राम) एवं अध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत गुप्ता (प्राचार्य अग्रवाल महाविद्यालय बल्लभगढ़) उपस्थित रहे। डॉ. मनवीन कौर ने नारी सशक्तिकरण पर जोर देते हुए समाज को मानसिकता परिवर्तन एवं लिंग समानता के प्रति जागरूक होने पर विशेष जोर दिया। साथ ही, उन्होंने यौन उत्पीड़न, भ्रूण हत्या एवं दहेज प्रथा इत्यादि मुद्दों में हुए परिवर्तनों पर प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि इसमें अभी बहुत परिवर्तन होने की आवश्यकता है।”बेटियां पढ़ेंगी तो बेटियां बढ़ेंगी” इस सकारात्मक सोच के साथ उन्होंने उच्च शिक्षा में महिलाओं की समान सहभागिता पर विशेष प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत गुप्ता ने अपने वक्तव्य में सर्वप्रथम मुख्य अतिथि का स्वागत किया । तत्पश्चात सतयुग,त्रेता,द्वापर जैसे युगों का उदाहरण देते हुए अतीत के मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान पीढ़ी को सकारात्मक रूप से मानसिकता बदलने और लैंगिक असमानता जैसे मुद्दों के प्रति संवेदनशील और गंभीर होने पर जोर दिया।उन्होंने कर्म को प्रधानता देते हुए कहा कि मानव और पशु में अंत विचारों के कारण हैं। मानव सद्कर्मो द्वारा ही समाज कल्याण संभव है। उद्घाटन सत्र के अंत मे अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका धन्यवाद किया गया। उद्घाटन सत्र में सम्मेलन की अवधारणा एवं प्रसंगिकता पर डॉ. गीता गुप्ता ने प्रकाश डाला।
मंच संचालन डॉ. सारिका कांजलिया द्वारा किया गया तथा डॉ. इनायत चौधरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन हुआ। सम्मेलन के द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षा डॉ. आलोकदीप (समन्वयक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास) एवं आमंत्रित वार्ता के लिए डॉ. दिव्य ज्योति सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर जे.सी.बोस विश्वविद्यालय) उपस्थित रहे। डॉ. आलोकदीप ने सभागार में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हौसला वर्धन करते हुए द्वितीय सत्र प्रारंभ किया। डॉ. दिव्यज्योति ने पावर प्वाइंट के माध्यम से अपने वक्तव्य में साहित्य के माध्यम से अनेकानेक उदाहरण देते हुए प्रभावशाली प्रस्तुति दी। डॉ. गीता गुप्ता द्वारा द्वितीय सत्र में मध्यस्थता की गई। सम्मेलन के तृतीय तकनीकी सत्र के अध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार योगी (डीन, फैकल्टी ऑफ लॉ एंड ह्यूमैनिटीज गुरुग्राम विश्वविद्यालय) आमंत्रित वार्ता के लिए डॉ. विदुषी भारद्वाज शर्मा (प्रोफेसर,प्रबंध संस्थान नई दिल्ली) उपस्थित रहीं। प्रो. राकेश कुमार योगी ने अपने वक्तव्य में कहा कि लैंगिक असमानता एक गंभीर और चिंतनीय विषय है। जिसका मुख्य कारण समाज में प्राचीन काल से चली आ रही कुरीतियां है जो आज भी किसी न किसी रूप में विद्यमान है। आवश्यक है कि आज का युवा और आने वाली पीढ़ी इसको जड़ से खत्म करने का प्रयास करे। समाज एवं राष्ट्र की प्रगति के लिए यह अनिवार्य है।
डॉ. विदुषी भारद्वाज शर्मा ने कहा कि लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए सरकार ने इसके प्रति ठोस कदम उठाते हुए कई कानूनों को बनाया है। जरूरी है कि युवा उसके प्रति सचेत हो और उन कानूनों का उल्लंघन न करें। अनेक साहित्यिक उदाहरणों के द्वारा अपने वक्तव्य की पुष्टि की। तृतीय तकनीकी सत्र की मध्यस्थता डॉ रेखा सेन ने की। इस सम्मेलन में प्रवक्ताओं के अतिरिक्त अनेक विद्यार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रत्यक्ष एवं आभासी माध्यम द्वारा प्रस्तुत किए। इस सम्मेलन के समापन सत्र के मुख्य अतिथि के रुप में डॉ. कृष्णकांत गुप्ता रहे। समापन सत्र के अपने वक्तव्य में उन्होंने
सर्वप्रथम आयोजक समिति को सम्मेलन के सफलतापूर्वक आयोजन पर शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के गंभीर विषयों पर आयोजित होने वाले सम्मेलनों से यदि कुछ प्रतिशत युवा भी जागरूक होते हैं तो निश्चित ही यह एक बड़ी सफलता मानी जानी चाहिए।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. कृष्णकांत गुप्ता को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका धन्यवाद ज्ञापित किया गया। समापन सत्र मे सारांश डॉ. इनायत चौधरी द्वारा पढ़ा गया एवं मंच संचालन डॉ. रेनू माहेश्वरी द्वारा किया गया। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के 10राज्यों से अधिक लगभग 192 प्रतिभागी प्रत्यक्ष एवं आभासीय माध्यम से भाग लेकर लाभान्वित हुए। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यक्रम संयोजिका श्रीमती कमल टंडन, सह-संयोजक डॉ. गीता गुप्ता, आयोजन सचिव डॉ. सारिका, समन्वयक डॉ. इनयात चौधरी, सह-समन्वयक, श्री सुभाष, महिला प्रकोष्ठ संयोजिका डॉ. रेखा रानी, महिला प्रकोष्ठ संयोजक संभाग 3 डॉ. रेनू महेश्वरी, डॉ. विनीत नागपाल, शैली मालिक, लवकेश कंप्यूटर विभाग से प्रीति सिंगला एवं मीनू इत्यादि का विशेष योगदान रहा। सारिका के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन हुआ .