अग्रवाल महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा अतिथि व्याख्यान का आयोजन
फरीदाबाद,जनतंत्र टुडे
अग्रवाल महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान का आयोजन अग्रवाल महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ कृष्ण कांत गुप्ता जी की सद्प्रेरणा से हुआ। अतिथि व्याख्यान का विषय-“हरियाणा का इतिहास-उत्कीर्ण लेखों का अध्ययन” रहा ।
मुख्य वक्ता के रूप में हरियाणा इतिहास व संस्कृति अकादमी, कुरुक्षेत्र से पधारे असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत डॉ जगदीश प्रसाद यादव ने बेहद ज्ञानवर्धक व सारगर्भित वक्तव्य दिया। इस अतिथि व्याख्यान में महाविद्यालय के इतिहास विभाग के अनेक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। अतिथि व्याख्यान का शुभारंभ सरस्वती वन्दना से हुआ। सर्वप्रथम अग्रवाल महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ कृष्ण कांत गुप्ता जी ने मुख्य वक्ता डॉ जगदीश प्रसाद का स्वागत करते हुए, शुभकामनाएं दी व कहा कि हरियाणा राज्य के विभिन्न स्थानों से पुराने समय के बहुत महत्वपूर्ण अभिलेख व शिलालेख मिले हैं जो हरियाणा के समृद्ध व विशाल इतिहास के परिचायक है। तत्पश्चा्त इतिहास विभागाध्यक्ष व अतिथि व्याख्यान के संयोजक डॉ जयपाल सिंह ने विद्यार्थियों को मुख्य वक्ता डॉ० जगदीश प्रसाद का संक्षिप्त परिचय दिया।
मुख्य वक्ता डॉ जगदीश प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि हरियाणा भारत का वह भू-भाग है, जहाँ भारतीय सभ्यता फली-फूली। यहाँ के गौरवमयी इतिहास का वर्णन मनुस्मृति, महाभाष्य, महाभारत तथा पुराणों में भी हुआ है और ऐसे अनेक उत्कीर्ण लेख, शिलालेख मिले है जो हरियाणा के गौरवशाली इतिहास के विषय में विस्तार से बताते है। हरियाणा में अब तक ऐतिहासिक महत्व के दर्जनों से अधिक शिलालेख व अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण अंबाला के निकट तोपडा से प्राप्त अशोक कालीन स्तंभ है। ग्यारहवीं शताब्दी के चौहान राजा विग्रहराज चतुर्थ के तीन अभिलेख भी तोपडा के स्तंभ पर अंकित हैं। कालांतर में इस तोपडा अभिलेख को फिरोज तुगलक ने दिल्ली मंगवा कर पुराने किले में स्थापित करवाया। पिहोवा, तोशाम कलानौर, हिसार, रोहतक, जगाधरी, हांसी से बहुत बड़ी संख्या में महत्त्वपूर्ण उत्कीर्ण लेख, ताम्रपत्र, अभिलेख, मोहरे आदि प्राप्त हुए है।
अंत में विद्यार्थियों ने व्याख्यान के विषय से जुड़े अनेक प्रश्न पूछे, सभी जिज्ञासाओं का मुख्य वक्ता ने समाधान किया। इतिहास विभाग की डॉ सुप्रिया ढांडा ने मंच संचालन किया। अतिथि व्याख्यान मुख्य वक्ता के धन्यवाद ज्ञापन से समाप्त हुआ।