जश्न-ए-फरीदाबाद -4, के तीसरे दिन चित्रकला प्रतियोगिता में बच्चों ने बिखेरे प्रतिभा के रंग, व “साहित्य में नारी” पर परिचर्चा
फरीदाबाद, जनतंत्र टुडे / फरीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केंद्र व जीवा ग्रुप, तथा सहयोगी संभार्य फाउंडेशन और एनजेडसीसी के संयुक्त तत्वाधान में टाउन पार्क सैक्टर 12 में बच्चों की प्रतिभा निखारने को चौथी जीवा फरीदाबाद ओपन चित्रकला का आयोजन किया गया जिसमें 6 वर्ष से लेकर 18+ तक के प्रतिभागी ने अपनी चित्रकला प्रतिभा के प्रदर्शन हेतु भाग लिया।
समाज सेवी संस्था मिशन जागृति के प्रवेश मलिक और उनकी पूरी टीम के सहयोग ने प्रतियोगिता प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रतिभागियों के रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हे पांच विभिन्न आयु वर्ग में पूर्व निर्धारित विषयों मुख्यता पर्यावरण और प्राकृति पर चित्रकला के लिए दो घंटे का समय दिया गया जिसमें लगभग चार सौ बच्चो ने भाग लेकर अपनी-अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।
पहला दूसरा और तीसरा पुरस्कार क्रमशः 6 से 9 वर्ष आयु वर्ग में प्रथम बल, दृष्टि रसाल, रियांश गुप्ता, 10 से 12 वर्ष आयु वर्ग में ऋषिका राणा, समृद्धि बारुच, शीतल झा 13 से 15 वर्ष आयु वर्ग में आदित्य कुमार, विधि, लीकांशी 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग में गुंजन वर्मा, सौरभ, कनिशा नागर तथा 18 से अधिक आयु वर्ग में रोहित कुमार, प्रीति कुमारी, यश गौतम ने प्राप्त किया जिन्हें पूर्व शिक्षा म़ंत्री, हरियाणा सरकार, सीमा त्रिखा, एफएलसीसी अध्यक्ष नवीन सूद, सांस्कृतिक सचिव विनोद मलिक, महासचिव मनोहर लाल नंदवानी ने पुरस्कृत किया। सब विजेताओं को नक़द ईनाम, स्मृति चिन्ह व सर्टिफिकेट तथा प्रत्येक प्रतिभागी को सर्टिफिकेट दिया गया।
सांयकालीन दूसरे सत्र कार्यक्रम ‘चौपाल’ में परिचर्चा में साहित्यिक सेवाओं के लिए अनेक पुरुस्कारों से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार नमिता राकेश ने ‘साहित्य में नारी’ पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि यह एक व्यापक विषय है वास्तव में अगर देखा जाए तो नारी विमर्श और नारी चेतना का विषय हिंदी साहित्य में छायावाद काल से ही शुरू हो चुका था प्रेमचंद से लेकर आज तक अनेक पुरुष लेखकों ने स्त्री समस्या को अपना विषय बनाया लेकिन उसे प्रभावी रूप में नहीं लिख पाए परन्तु स्वयं महिला लेखिकाओं का इस विषय पर विचार धीरे धीरे एक आंदोलन का रूप ले चुका था। हिंदी साहित्य में नारी के योगदान के कुछ उदाहरण मीराबाई अमृता प्रीतम महादेवी वर्मा सुभद्रा चौहान शिवानी त्यागी प्रमुख नाम है।
नारी कभी कोमलता के कारण और कभी शक्ति स्वरूपा के कारण जानी जाती है आधुनिक काल में नारियों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र होने के कारण नारी आज एक सशक्त रूप में सबके सामने है। मैंने स्वयं नारी के विभिन्न विषयों पर खुलकर लिखा है और मैं प्रमुख रूप से नारी की सशक्त मनोवृति, उसकी भूमिका और उसकी आत्मशक्ति की प्रबल समर्थक हूं ।
इस प्रबल मंच ने साहित्य में नारी विषय पर चौपाल के अंतर्गत जो यह टॉक शो रखा है उसके लिए मैं उनकी आभारी हूं और उन्होंने मेरे विचारों को इस कार्यक्रम में प्रकट करने का अवसर दिया इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करती हूं।
मुझे आशा है कि एफएलसीसी द्वारा एक सृजनकारी सोच से साहित्यिक उत्थान के उदेश्य से आयोजित इस कार्यक्रम ‘चौपाल’ के माध्यम से नारी के विषय में लोगों की भ्रांति दूर होगी और नारी को एक सशक्त सृजन कर्ता मानसिक प्रबलता और आर्थिक संपन्नता का प्रतीक माना जाएगा।
मुख्य अतिथि सीमा त्रिखा, पूर्व शिक्षा मंत्री, हरियाणा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि नारी यह समाज का मूल आधार है तथा ईश्वर द्वारा समाज को दिया गया खूबसूरत उपहार है । जो समाज में नारी, बहन, मां, पत्नी बेटी का रिस्ता निभाती है । महिलाएं समाज में एक अभिन्न भूमिका निभाती हैं। वे परिवारों की रीढ़ हैं और समुदायों के विकास और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। फिर भी, सदियों से महिलाओं को हाशिये पर धकेला जाता रहा है, भेदभाव और हाशिए पर रखा जाता रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, समाज में महिलाओं के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ रही है। माताओं के लिए यह प्रसिद्ध वाक्य है की माता निर्माता भवति। इतिहास इस बात का साक्षी है कि समाज को मार्गदर्शन करने में महिलाओं का बहुत बड़ा हाथ है अतः मैं आप सब से निवेदन करती हूँ कि सब मातायें बहनें अपने परिवार, संतान का मार्ग दर्शन करें। जिससे हमारे देश में पुनः राम, कृष्ण, दयानन्द, शिवाजी जैसे महापुरुष जन्म ले सकें। आशा है मेरे इस निवेदन पर सभी माताएँ बहनें पुत्रियाँ विशेष ध्यान देंगी।
इस परिचर्चा में प्रसिद्ध लेखक प्रकाश नंग्र फ्लोरिया, कवयित्री सुनीता रैयना, डॉ शुभ तनेजा ने भाग लिया। आमंत्रित साहित्यकारों को शाल ओढ़ा कर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। एफएलसीसी अध्यक्ष नवीन सूद नें चौपाल कार्यक्रम के माध्यम से सामाजिक और साहित्यिक विषयों पर परिचर्चा द्वारा जनमानस में साहित्य के प्रति रूची व सामाजिक चेतना जागृति के् एफएलसीसी द्वारा सफल प्रयास को निरंतर आगे बढाने की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए विशिष्ट अतिथियों का धन्यवाद किया। सांस्कृतिक सचिव विनोद मलिक ने उपस्थित साहित्य प्रेमियों के सहयोग व कार्यक्रम में शामिल होने पर आभार प्रकट किया।
इस कार्यक्रम में एफएलसीसी उपप्रधान जगदीप मैनी, महासचिव मनोहर लाल नंदवानी, कोषाध्यक्ष वसु मित्र सत्यार्थी, कार्यकारी सदस्य वी के अग्रवाल, अश्विनी सेठी, जितेंद्र मान, मोहिंदर सेठी तथा प्रभा छाबड़ा, सुरेखा बांगिया, विजय सुनेजा व अन्य साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।