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प्रवर्तक महऋषि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की 200 वीं जयन्ती के अवसर पर गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया

फरीदाबाद,जनतंत्र टुडे

परम श्रद्धेय गुरु जी योगीराज ओमप्रकाश महाराज जी (संस्थापक – आर्य समाज, ओम योग संस्थान भारत, अमेरिका और कनाडा) के पावन सानिध्य एवं ब्रह्मत्व में 11अगस्त से आर्य समाज मारखम, में चल रहा है।

यह गायत्री महायज्ञ 17 अगस्त तक प्रातः 10:00 बजे से 12:00 तक चलेगा, जिसकी पूर्णाहुति दिनांक 17 अगस्त 2024 शनिवार को होगी।

आज कार्यक्रम के शुभ आरम्भ में आर्य समाज / वैदिक कल्चर सेंटर के प्रधान श्रीमान श्री यश कपूर जी ने समाज की ओर से, यज्ञ के ब्रह्मा परम श्रद्धेय गुरु जी योगीराज ओमप्रकाश महाराज जी का अभिनंदन किया। उसके बाद सभी मंचासीन विद्वानों का स्वागत भी किया गया।

गुरु जी योगिराज जी ने ईश प्रार्थना से यज्ञ का आरंभ कराया उसके पश्चात ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना मंत्रों का काव्य पाठ भी करवाया। उसके बाद उपस्थित समस्त यजमानों ने दैनिक यज्ञ के साथ गायत्री मंत्र से आहुतियां प्रदान कर , गायत्री महायज्ञ किया।इस महायज्ञ में योगाचार्य डॉ सन्दीप आर्य जी, श्रीमती कविता आर्या ने मन्त्र पाठ, संगीत आदि व्यवस्था में सहयोग किया तथा पण्डित ज्ञानचन्द शर्मा जी,पण्डित विद्यार्थी जी भी उपस्थित रहे । यज्ञ प्रार्थना के बाद श्रीमति कविता आर्या जी ने एक बहुत ही सुन्दर भजन सुनाया ।

योगिराज महाराज जी ने अपने संबोधन में आत्म चिंतन करने का संदेश देते हुए भिद्यते हृदयग्रन्थिश्छिद्यन्ते सर्वसंशयाः।
क्षीयन्ते चास्य कर्माणि तस्मिन्दृष्टे परावरे॥ मंडुकोपनिषद 2.2.8 की व्याख्या करते हुए बताया की परम आत्म – ज्ञान का लाभ दर्शाते हुए अगिंरा ऋषि ने कहा – उस पर- अपर , वाच्य- वाचक को जान लेने पर , हृदय की अविद्या की गॅाठे भेदन हो जाती है , सब संशय छेदन हो जाते है और भक्त कर्म क्षय हो जाया करते है ।

जब हम साधना करेंगे तो हम मन और चित्त से ईर्ष्या द्वेष इत्यादि भावनाओं को दूर कर पाएंगे।यही संदेश, मधुर भजन (आत्म चिंतन किया नही, खुद को नही जाना है , कौन हॅू, मै आया कहॅा से , आगे कहॅा जाना है) के माध्यम से देकर सभी को भाव विभोर कर दिया। अंत में शांति पाठ और भोजन का मंत्र उच्चारण किया गया। बाद में सभी ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।

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