जे.सी.बोस विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ़ लिबरल आर्ट्स एंड मीडिया स्टडीज द्वारा आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम में मानसिक तनाव दूर करने की जनकारी देते हुए मुख्य वक्ता विख्यात योग एवं ध्यान प्रशिक्षक पूनम गुलिया
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संस्कृति ही नहीं अपितु सर्वांगीणता की परिचायक है मातृभाषा हिंदी : दिनेश पाठक

फरीदाबाद,जनतंत्र टुडे

जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के फैकल्टी ऑफ़ लिबरल आर्ट्स एंड मीडिया स्टडीज  द्वारा पत्रकारिता एवं जनसंचार, विसुअल कम्युनिकेशन एंड मल्टीमीडिया एवं सोशल वर्क के विद्यार्थियों के लिए इंडक्शन प्रोग्राम में हिंदी दिवस एवं ध्यान पर दो विशेष चर्चा सत्र आयोजित किये गए। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए संचार एवं मीडिया तकनीकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पवन सिंह ने बताया कि 14 सितम्बर को दो विशेष सत्रों का आयोजन किया गया ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित सत्र में विख्यात योग और ध्यान प्रशिक्षक पूनम गुलिया तथा हिंदी दिवस पर आयोजित मीडिया की हिंदी और हिंदी का मीडिया सत्र में  वरिष्ठ लेखक और पत्रकार दिनेश पाठक  मुख्यवक्ता के रूप में उपस्थित रहे।  
दिन के पहले सत्र में  कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विख्यात योग और ध्यान प्रशिक्षक पूनम गुलिया ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए हमें शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर कार्य करना होगा। यह दोनों एक दूसरे के पूरक है। एक भी स्वास्थ्य अगर गड़बड़ हुआ तो इसका दुष्प्रभाव दूसरे पर साफ दिखाई देता है। वर्तमान समय में सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य तब और भी आवश्यक होता है जब हमें कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं, तनावपूर्ण स्थितियों से निपटना पड़ता है, और अपने आस-पास के वातावरण में स्वयं को ढालना होता है।  इसलिए जरूरी है कि हम सभी से जुड़े रहें और अपने आप को अलग न समझें, पॉजिटिव सोचें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, पर्याप्त नींद लें और समय पर सोएं और समय से जागें, हेल्दी डाइट लें खास कर मूड को बेहतर बनाने वाली चीजों को खाएं तथा व्यायाम और योग करें।
हिंदी दिवस पर आयोजित मीडिया की हिंदी और हिंदी का मीडिया सत्र में  वरिष्ठ लेखक और पत्रकार दिनेश पाठक ने कहा कि हिंदी और भारतीय संस्कृति का एक अटूट संबंध है। यदि हम इस संबंध को और सशक्त करना चाहते हैं तो हमें मातृभाषा की महत्ता समझनी ही होगी। उसके महत्व को समझकर ही हम अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ न्याय करने में भी सक्षम हो सकेंगे। वर्त्तमान मीडिया भी यही बखूबी समझती है।  नित नए होने वाले तकनीकी विकास भी हिंदी के बढ़ते वर्चव्य का इशारा करते हैं।  जितने सभी वेबसाइट पोर्टल या एप्लीकेशन है वो भी हिंदी को लिखने समझने की तकनीक को आसान कर रहें है।  

लेकिन इस दौर में ये भी आवश्यक है कि मीडिया में भविष्य तलाशने वाले भी भाषा पर अपनी मजबूत पकड़ रखें.  हिंदी हम भारतीयों की मातृभाषा है। हिन्दी हमारी, आपकी और हम सब की भाषा है।  
बीएमआर एनिमल ट्रस्ट से ऋषि शर्मा और ऋचा समाजकार्य के व्यावसायिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए छात्रों को गौसेवा एवं पशु कल्याण के क्षेत्र अवसरों के बारे में बताया। इंडक्शन प्रोग्राम का आयोजन छात्र कल्याण निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। इस अवसर पर फैकल्टी ऑफ़ लिबरल आर्ट्स एंड मीडिया स्टडीज़ की डीन प्रो. पूनम सिंघल तथा संचार एवं मीडिया तकनीकी विभाग के शिक्षक और प्रशिक्षक उपस्थित रहे।

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