स्टार्टअप इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देने के लिए जे.सी. बोस विश्वविद्यालय तथा एडीआईएफ के बीच समझौता
फरीदाबाद,जनतंत्र टुडे
स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और विद्यार्थियों में उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने एलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) के साथ समझौता किया है। एडीआईएफ भारतीय प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप की एक प्रतिनिधि संस्था है।
समझौते पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर की उपस्थिति में विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ मेहा शर्मा और एडीआईएफ के कार्यकारी निदेशक श्री भूपिंदर जीत ने हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर निदेशक (आरएंडडी) डॉ. मनीषा गर्ग, उपनिदेशक (आरएंडडी) डॉ. राजीव साहा, सहभागिता एवं उद्योग संपर्क मामलों की प्रभारी डॉ. रश्मी पोपली, आईपीआर, इनोवेशन और स्टार्टअप व इनक्यूबेशन मामलों के प्रभारी डॉ. संजीव गोयल एवं समन्वयक डॉ. सपना तनेजा तथा एडीआईएफ के सह निदेशक श्री प्रतीक जैन भी उपस्थित थे।
नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कुलपति प्रो. तोमर ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित हो रहा है। देश में शिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के शुरूआती प्रयास करीब दो दशक पहले शुरू हुए थे, जिसका स्वरूप आज देखने को मिल रहा है। देश में बेरोजगारी और रोजगार कौशल गंभीर चुनौती है, जिसके समाधान के लिए शैक्षिक पाठ्यक्रम में बाजार की मांग के अनुरूप बदलाव लाने की आवश्यकता है और छात्रों को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने के योग्य बनाना होगा। अक्सर देखा गया है कि छात्रों के पास अभिवन विचार होते है, लेकिन उनके पास स्वयं का उद्यम को शुरू करने के लिए आवश्यक जानकारी और ज्ञान का अभाव होता है। इस दिशा में काम करते हुए जे.सी. बोस विश्वविद्यालय द्वारा स्टार्टअप एवं इनक्यूबेटर के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी महज कागजी कार्रवाई न बने अपितु इसके माध्यम से छात्रों के लिए नियमित रूप से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाये।
इस अवसर पर चर्चा करते हुए निदेशक (आरएंडडी) डॉ. मनीषा गर्ग ने छात्रों को प्रथम वर्ष से ही स्टार्टअप-संबंधित गतिविधियों में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे उनकी मानसिकता में बदलाव आयेगा और वे केवल नौकरी पर ध्यान केन्द्रित न करते हुए उद्यमिता को भी करियर विकल्प के रूप में स्वीकार करेंगे।
एडीआईएफ के कार्यकारी निदेशक भूपिंदर जीत ने साझेदारी से विश्वविद्यालय को होने वाले लाभों के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि एडीआईएफ विश्वविद्यालय के इनक्यूबेशन सेंटर में काम करने वाले शुरुआती चरण के स्टार्टअप को अपनी सेवाएं प्रदान करेगा तथा यह सुनिश्चित करेगा कि स्टार्टअप को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक सहयोग मिले। उन्होंने कुलपति को एडीआईएफ द्वारा नियमित रूप से गतिविधियां आयोजित करने का आश्वासन दिया, जिससे छात्रों को शुरुआती चरण के स्टार्टअप में मार्गदर्शन मिलेगा।
इससे पहले डॉ. संजीव गोयल ने साझेदारी के उद्देश्यों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस सहयोग का उद्देश्य छात्रों की स्टार्ट-अप पहलों को सहयोग देने के साथ-साथ विश्वविद्यालय में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाना है। इस साझेदारी के माध्यम से जे.सी. बोस विश्वविद्यालय और एडीआईएफ उभरते उद्यमियों को संसाधन, सलाह, क्षमता निर्माण के अवसर और उद्यमशीलता में सफल होने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगा।