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एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन

फरीदाबाद,जनतंत्र टुडे

राजनीति शास्त्र विभाग द्वारा “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राजनीतिक विचारकों के योगदान” पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत गुप्ता के मार्गदर्शन व नेतृत्व में किया गया। इस सम्मेलन को महानिदेशक उच्च शिक्षा, हरियाणा द्वारा अनुमोदित किया गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत गुप्ता ने की। कार्यक्रम का प्रारंभ दीपशिखा प्रज्ज्वलन एवं पौधा देकर अतिथियों के सत्कार के साथ हुआ। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि सम्मेलन एक मंच प्रदान करेगा और शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और छात्रों के बीच बातचीत को सक्षम करेगा। सम्मेलन का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम में हमारे महान राजनीतिक विचारकों, कार्यकर्ताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर चर्चा और प्रशंसा करना है।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, फरीदाबाद के निदेशक व सेवानिवृत्त प्राचार्य डीएवी शताब्दी महाविद्यालय से डॉ. सतीश आहूजा रहें । जिन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राजनीतिक विचारकों के योगदान का अध्ययन करने से हमें अपने देश के इतिहास को समझने में मदद मिलती है। उन्होंने मां सरस्वती के सात रूप-पानी, वाणी, समय, शब्द, संगीत, ज्ञान व वाकपटुता पर विस्तार से चर्चा की । उन्होंने रविंद्रनाथ टैगोर, लोकमान्य तिलक, गंगाधर राव, दयानंद सरस्वती, महात्मा हंसराज इत्यादि विचारको और चिंतकों के विचारों से मां सरस्वती के सात रूपों को अपनाने व जीवन में उतारने पर चर्चा की ।
बीज वक्ता डॉ. चारू माथुर, एसोसिएट प्रोफेसर, आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से रहीं । इन्होंने अपने संबोधन में कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के राजनीतिक विचारकों द्वारा प्रतिपादित विचार और सिद्धांत आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने चाणक्य नीति, मनुस्मृति, मार्क्सवाद, गैलेलियो, राजा राममोहन राय के पुनर्जागरण, दयानंद सरस्वती के आर्य समाज और वेदों की ओर लौटो, विवेकानंद का आध्यात्मिक विचार, महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फूले की स्त्री शिक्षा और जाति प्रथा, पंडिता रमाबाई, दादाभाई नौरोजी, लाल-बाल-पाल, अरविंद घोष, महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर, डॉ. भीमराव अंबेडकर, इकबाल, नेहरू, जयप्रकाश नारायण, जय प्रकाश लोहिया इत्यादि राजनीतिक विचारकों के ऋणी हैं इन्हीं के पथ पर चलकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकते हैं पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

सम्मेलन की विषयवस्तु और उद्देश्यों को सम्मेलन की संयोजिका डॉ. रितु ने प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राजनीतिक सिद्धांतकारों ने भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वतंत्रता की लड़ाई महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल और कई अन्य लोगों से महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित थी।
आज के इस शुभ अवसर पर पुस्तक विमोचन किया गया जिसका शीर्षक “Contribution of Political Thinkers in Indian Freedom Struggle” रहा । विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों और शिक्षाविदों की उपस्थिति में उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ।
प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. रानी सांगवान, एसोसिएट प्रोफेसर, सरस्वती महिला महाविद्यालय, पलवल ने की और आमंत्रित वार्ता डॉ. निर्मला सिंह, प्रोफेसर, वनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान ने डिजिटल माध्यम से की। इन्होंने विस्तार से बताया कि राष्ट्रवाद, न्याय, धर्मनिरपेक्षता, सामुदायिक विकास और अधिकारों जैसे भारतीय राजनीतिक विचारकों के आदर्शों का सम्मान करके आजादी का अमृत काल मनाने में मदद की। इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को महिमामंडित करने में भी मदद की और शिक्षाविदों और विशेषज्ञों को एक साथ आने और भारतीय स्वतंत्रता में राजनीतिक विचारकों के योगदान पर चर्चा की।
दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. राजकुमार, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने की और आमंत्रित वक्ता प्रो. राधिका कुमार, मोतीलाल नेहरू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय रहें। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता में राजनीतिक विचारकों के योगदान पर चर्चा करने के लिए भारत को और अधिक समृद्ध बनाने के लिए यह आज भी प्रासंगिक है। हमारे इतिहास को समझने, प्रेरणा प्राप्त करने, महत्वपूर्ण सोच कौशल विकसित करने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए संघर्षशील रहेंगे।स्वतंत्रता के बाद भारत को एकीकृत करने में पटेल का महत्वपूर्ण योगदान था, जबकि अम्बेडकर ने कम

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